SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

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शिव चालीसा - जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला.

शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

जय जय जय अनंत more info अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

The realized ones observe the Trayodashi (thirteenth lunar day) quickly, They meditate and carry out the sacred fireplace ceremony. They notice the Trayodashi fast regularly, Making sure that their bodies remain free from afflictions.

. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

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